Thursday, September 23, 2010

रेल यात्रा – एक अनुभव

रेल से यात्रा करना अक्सर आनन्ददायक अनुभव होता है। रास्ते में खेतों, पहाड़ों और झरनों जैसे अलग-अलग दृश्यों को निहारने, और कुछ न कुछ मनोरम दृश्य देखने का अवसर आह्लादित करता है।

रास्ते में  रेलगाड़ी के रुकने पर कुछ स्वादिष्ट खाने के लिए उतरना, खाते-खाते उसी में मग्न हो जाना, और फिर भागते हुए वापस आना, इससे पहले कि ट्रेन छूट जाए, यह अनुभव हमेशा ही रोमांचक लगता है।

हालांकि जबसे मुझे याद है, ट्रेन के खाने का स्वाद ज़्यादा बदला नहीं है, लेकिन यात्रा में आपकी दिलचस्पी बनाए रखने के लिए, बिस्कुट, सॉफ्ट ड्रिंक और मिठाइयों, आदि के साथ आने वाले विक्रेताओं की लगातार चहल पहल बनी रहती है, जो यात्रियों को व्यस्त रखने में सहायक होती है।

यात्राओं को अक्सर वह लोग यादगार बनाते हैं , जिनके साथ आप यात्रा करते हैं। यह बात रेल के मामले में भी सत्य है। यात्रा के दौरान देर रात तक बात करने वालों से लेकर भोजन के अनेक डब्बे साथ लेकर चलने वाले परिवारों तक, कॉलेज और स्कूलों के शोर करने वाले बच्चों से लेकर, ज़ोर के खर्राटे लेने वाले यात्रियों तक, सबका अपना अपना समाज शास्त्र होता है। बस !आपको कभी पता नहीं होता कि आपके नसीब में यात्रा के दौरान  कौन सा सहयात्री मिलेगा।

जब मैं रेल का सफर करता हूँ, खिड़की से बाहर के दृश्यों को देखना और कुछ नया खा-पीकर, आराम की नींद का सेवन करना पसंद करता हूँ। हाँ, कई बार ऐसा भी समय आता है, जब बाकी चीजों से ऊबकर मैं ट्रेन में मेरे सहयात्रियों के साथ कुछ बातचीत शुरू कर लेता हूँ।

एक बार मैं अहमदाबाद से मुंबई तक की रेल यात्रा कर रहा था, और मैंने इस तरह की बातचीत शुरू करने के बारे में सोचा। मेरी बगल में बैठा व्यक्ति एक बुद्धिमान और आत्मविश्वास से भरा सज्जन लग रहा था। फोन पर उनकी बातचीत को सुनकर, मैंने अंदाजा लगाया कि वह एक गुजराती है, जो शायद एक व्यावसायिक यात्रा पर है।

मैंने उसके साथ छुटपुट बातचीत शुरू की और पाया कि मैं सही था। वह कपड़े के क्षेत्र में काम करने वाला एक व्यापारी था। यह जानते हुए कि गुजरात की वस्त्रों के लिए भारत के प्राथमिक केंद्रों में गिनती होती है, मैंने सोचा कि इस विषय पर उनसे कुछ ज्ञान हासिल करना सही होगा। जैसा कि मेरा अनुमान था, इस विषय पर उसने जो ज्ञान की गहराई साझा की, उसने मुझे पूरी तरह से उसका प्रशंसक बना दिया।

यह व्यक्ति, जैसा कि मुझे बातचीत में थोड़ी देर बाद पता चला, कपडों की मशीनों का सप्लायर था। उसने अपने द्वारा बेची गयी प्रत्येक मशीन की कीमत औसतन दस लाख रुपये बताई। उसने मुझे हाल ही में ऐसी कई मशीनों के लिए ऑर्डर पाने की सूचना भी दी। वह एक पारिवारिक व्यवसाय का मालिक था, जिसे उसे 5 साल पहले सौंप दिया गया था, और उसका व्यवसाय बहुत अच्छा चल रहा था।

इसके बाद उसने वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध विभिन्न देशों- मिस्र, भारत और पाकिस्तान, और अंतर्राष्ट्रीय निर्यात को प्रभावित करने वाले कारण, आदि के बारे में जानकारी देनी शुरू की। उसने व्यापार में भारत की प्रगति और गुजरात और महाराष्ट्र के योगदान के बारे में मुझे गर्व से बताया और  इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे भारत के सूती वस्त्रों की गुणवत्ता अन्य देशों के वस्त्रों से श्रेष्ठ है।  कपड़ा बनाने में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं - कताई, बुनाई, छपाई और परिष्करण, के बारे में जानकारी देते हुए
उसने मुझे वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध विभिन्न कंपनियों और क्षेत्र में गुजराती कंपनियों की सफलता के बारे में बताया । यह भी बताया कि कैसे बेड-शीट में विशेषज्ञता वाली कंपनियां टी शर्ट्स की तुलना में बहुत छोटी हैं। उसने कहा, "आपके घर में हो सकता है मात्र 2 ही बेड-शीट हों, लेकिन 20 से अधिक टी शर्ट्स ज़रूर होंगी"। संयोग से मेरी अलमारी के बारे में उसके यह आंकड़े बिलकुल सही थे।

इसी दरम्यान हमारी बातचीत में दो और गुजराती सज्जन जुड़ गए। आश्चर्य की बात यह थी कि वे भी वस्त्रों के क्षेत्र में ही काम करते थे! जल्द ही एक मिनी फोकस्ड समूहचर्चा सी शुरू हो गयी जिसका संचालन मैं कर रहा था।

मेरे साथ एक ही प्रदेश के इन तीन अतिउत्साहित लोगों ने फिर भारत के विभिन्न अग्रणी टेक्सटाइल हाउस, व्यवसाय में अपनी काबलियत को कैसे पेश करना, आदि पर गहन बातें बताईं।  भारत के सबसे मूल्यवान क्षेत्रों में से एक होने के बावजूद, कपड़ा उद्योग किस तरह आज भी एक पारिवारिक क्षेत्र है, इस बारे में उनकी बातें चालू रहीं।

हम शीघ्र ही चर्चा के अन्य विषयों की ओर बढ़े। इससे पहले कि मैं सोच पाता कि वस्त्रों के अलावा इन्हें किस चीज़ में दिलचस्पी हो सकती है, उन्होने रियल एस्टेट पर बातचीत शुरू कर दी! यह तीनों सज्जन संपत्ति खरीदने और बेचने में पेशेवर थे, जैसे वे शेयर को खरीद या बेच रहे हों। उनके लिए घर या दूकान खरीदने का एकमात्र उद्देश्य उपयोग करना नहीं, बल्कि बेहतर दाम में बेचना था।

अगला विषय? खाना!

उन्होंने शहर के विभिन्न कोनों में लोकप्रिय खाने की दुकानों के बारे में चर्चा की। कुछ प्रसिद्ध स्थान जिनके बाहर विशाल कतारें होती हैं, उनकी विशेषताएं और कैसे यह दुकानें लाखों की बिक्री करती हैं ,इस बारे में विस्तार से बताया!

अधिकांश आंकड़े बहुत ही सटीकता के साथ बताए गए थे। मुझे जल्द ही पता चला, कि तीनों में से कोई भी ज़्यादा पढ़ा हुआ नहीं किया था, पर उन्हे अपने बच्चों पर बहुत गर्व था जो शिक्षा के क्षेत्र में इनके सपनों को पूरा कर रहे थे। इसके बावजूद भी व्यवसाय क्षेत्र में इनकी समझ को देख यह तो पता चल गया, कि भले ही उनके पास एमबीए न हो, पुश्तैनी संपत्ति और विशाल स्थापित व्यवसायों के होने के सौभाग्य ने उनको ऐसा अनुभव दे दिया था जो शायद ही कोई एमबीए की डिग्री  दे सके।


बातचीत जल्द ही परिवारों और सामाजिक मुद्दों की ओर बढ़ने लगी। बिस्तर की ओर बढ़ने का मेरा लिए यह सही इशारा था। मेरे सो जाने के बाद भी उनकी बातें ज़ोर शोर से चालू रहीं और मैंने ऐसा महसूस किया, कि अगर आप थके हुए हैं और एक ऐसी यात्रा पर हैं जहाँ आप एक अच्छी रात की नींद लेना चाहते हैं, तो व्यवसायियों के समूह से उनके व्यवसाय के बारे में चर्चा शुरू करने से पहले ज़रूर भलीभाँति सोच लें!!

No comments:

Post a Comment